हेलो दोस्तों आज हम आज आपको वॉटर प्यूरीफायर के बारे में बताएंगे वॉटर प्यूरीफायर घरों में उपयोग होने वाला पानी को वेरीफाई करने वाली एक मशीन है जो विभिन्न प्रकार की कंपनियों द्वारा बनाई जाती है।
RO का फुल फार्म होता है रिवर्स ऑस्मोसिस (Reverse Osmosis)। जैसा कि हम सब जानते हैं कि आरओ (RO) दूषित पानी को साफ करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इस तकनीक से पानी के भीतर की सभी अशुद्धियां, मेटल पार्टिकल, बालू के कण, टीडीएस (Total dissolved solids) साफ हो जाती है और पानी पीने के लिए पूर्णत: शुद्ध हो जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को हिन्दी में विपरीत प्रसारण के रूप में जाना जाता है।
रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) एक जल शोधन प्रक्रिया है जो आंशिक रूप से पारगम्य झिल्ली का उपयोग करके पीने के पानी से आयनों, अवांछित अणुओं और बड़े कणों को पानी से हटाने का कार्य करती है और पानी को पीने के योग्य बनाती है।
ऐसा माना जाता है कि आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) का पानी स्वस्थ्य के लिए अच्छा होता है। लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है कि वॉटर प्यूरिफायर का पानी आपकी सेहत बिगाड़ भी सकता है। स्पेशलिस्ट के मुताबिक, आरओ से गंदगी के साथ वह मिनिरल्स भी निकल जाते हैं जिनकी हमारी वॉडी को जरूरत होती है। इसके अलावा प्यूरीफायर के फिल्टर की भी जांच जरूरी है। आमतौर पर आरो की सर्विस 3-4 महिने में करा लेनी चाहिए ताकि आरो सही के पानी की गन्दगी को सही से निकालता रहे।
कार्बन फिल्टर: कार्बन फिल्टर पानी में मौजूद बदबू और रसायनिक पदार्थों को हटाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसकी लाइफ आमतौर पर 6 महीने से 1 वर्ष तक हो सकती है। RO मेम्ब्रेन: RO मेम्ब्रेन पानी में मौजूद बहुत छोटे रासायनिक मोलेक्यूलों को पानी से बाहर निकालने का काम करता है, जिससे पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार होता है। इसकी लाइफ आमतौर पर 1 वर्ष से 2 वर्ष तक हो सकती है।
यदि आपके घर का पानी बहुत ज्यादा दूषित है या उसमें बहुत ज्यादा मात्रा में खनिज हैं, तो आरो प्यूरिफायर आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है। आरो प्यूरिफायर पानी में मौजूद ज्यादातर अशुद्धियों को हटा देता है। जिससे पीने का पानी पूर्ण रूप से शुद्ध हो जाता है।
पानी की शुद्धता को Total dissolved solids (TDS) में मापा जाता है। एक रिपोर्ट में Bureau of Indian Standards के मुताबिक अगर एक लीटर पानी में TDS यानी Total Dissolved Solids की मात्रा 500 मिलीग्राम से कम है तो ये पानी पीने योग्य माना जाता है।अत: हमें समय-समय पर पानी की गुणवत्ता को चेक कराते रहना चाहिए।
आरओ जल शोधन पानी से कई तरह के दूषित पदार्थों को बाहर निकालने के लिए एक अत्यधिक प्रभावी तकनीक है। यह उन क्षेत्रों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है, जहाँ पानी बहुत अधिक दूषित है या जहाँ हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आने का उच्च जोखिम होता है। अत: इन स्थानों पर हमें अवश्य आरो का उपयोग करना चाहिए।
आरओ(Reverse Osmosis) पानी को शुद्ध करने की एक प्रक्रिया है जो पानी में मौजूद अधिकांश अशुद्धियों को पानी से निकाल देती है। हालांकि, कभी-कभी आरओ के पानी का स्वाद कड़वा हो सकता है इसके कई कारण हो सकते हैं:
भारत में 2023 में सबसे अच्छा वॉटर प्यूरीफायर एचयूएल प्योरइट रेविटो मिनरल RO+MF+UV को माना गया है। यह एक उन्नत क्वालिटी का वाटर प्यूरीफायर है जो सभी प्रकार के अशुद्धियों को पानी से निकाल कर उसको शुद्ध बनाता है, जिसमें बैक्टीरिया, वायरस, कीटाणु, और हानिकारक रसायन पदार्थ शामिल हैं। यह पानी में आवश्यक खनिजों को भी जोड़ता है, जिससे यह पानी स्वादिष्ट और स्वस्थ हो जाता है।
यूएफ(Ultrafiltration) प्यूरीफायर पानी से निलंबित ठोस पदार्थ, बैक्टीरिया, वायरस, सिस्ट और अन्य रोगजनकों को पानी से बाहर निकालने में काफी कारगर है। यूवी(Ultrafiltration) मुख्य रूप से बैक्टीरिया और वायरस को है पानी से बाहर निकालता है, और उनके डीएनए को बाधित करके हानिकारक सूक्ष्मजीवों को मारने या निष्क्रिय करने में प्रभावशाली होता है।
आरओ पानी की शुद्धता के लिए काफी अच्छा स्त्रोत माना जाता है। जो पानी से सभी हानिकारक पदार्थों को पानी से बाहर निकाल देता है, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि आरओ का पानी किडनी के लिए पूरी तरह सुरक्षित है या नहीं। क्योंकि यह सब आपके स्वास्थय, आहार और अन्य कारकों पर भी निर्भर करता है। लेकिन एक बात कह सकते हैं कि आरओ का पानी काफी शुद्ध होता है जिससे आपकी किडनी पर कम बोझ पड़ता है।
आरओ फिल्टर को मुख्यत: रूप से हर 12 महीने में बदल लेना चाहिए। यह आपके पूरे रिवर्स ऑस्मोसिस सिस्टम की अधिकतम प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए है। ऐसा न करने पर आपके पीने के पानी में अभी भी दूषित पदार्थ मिले रहेंगे।
पानी में कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे मिनरल्स पानी में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं, पर जब हम पानी को फिल्टर कर देते हैं तो ये सारे मिनरल्स बाहर निकल जाते हैं। ऐसी स्थिति में शरीर में इन मिनरल्स यानि खनिज तत्वों की कमी हो जाती है और इनकी कमी से हमारी हड्डियों का कमजोर होना, हृदय संबंधी रोग और डायबिटीज का खतरा जाता है।
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